Parwah Nahi Song
The Parwah Nahi song written by Manoj Muntashir and sung by Siddharth Basrur. It was composed by Amaal Mallik and released by T-Series in year 2016.
The Parwah Nahi song written by Manoj Muntashir and sung by Siddharth Basrur. It was composed by Amaal Mallik and released by T-Series in year 2016.
Pathar ke hain sab raaste Parwah nahin.. Dhundle hain chehre khwaab ke Parwah nahin.. Chhalni hai seena rehne do Ab jo bhi ho parwah nahin.. Sanki hua jaata hai dil Mann ki kiye jaata hai dil Kadke betahasha ye Bijli hua jaata hai dil (x2) Baadal mein dhoondhe honsle Pagla gaye hain honsle Gir jaaye ya ude Ab toote ya jude, parwah nahin.. Parwah nahin.. hey.. yeah.. Parwah nahin.. yeah.. Parwah nahin.. yeah… Jhute hain ya sachche hain Sapne aakhir sapne hain Saare taare tumhi rakh lo Saare jugnu toh mere hain (x2) Roke ruke na dil jale Pagla gaye hain haunsle Ziddi hain dhadkane Bigde ya bane, parwah nahin.. Wo.. parwah nahin.. Ho.. parwah nahin.. Yeah.. parwah nahin.. yeah… Saanson mein jo bhatti hai Woh raat aur din dehakti hai Paani-waani toh dhoka hai Yeh aag aag se bujhti hai (x2) Aayein toh aaye jaljale Pagla gaye hain honsle Sholon pe hum chale Ab pighle ya jale, parwah nahin! Wo.. parwah nahin.. Wo.. parwah nahin.. Wo.. parwah nahin.. Wo.. parwah nahin.. o..
पत्थर के हैं सब रास्ते परवाह नहीं धुंधले हैं चेहरे ख्वाब के परवाह नहीं छलनी है सीना रहने दो अब जो भी परवाह नहीं सनकी हुआ जाता है दिल मन की किया जाता है दिल कड़के बेरहाषा ये बिजली हुआ जाता है दिल सनकी हुआ जाता है दिल मन की किया जाता है दिल कड़के बेरहाषा ये बिजली हुआ जाता है दिल बादल में ढूंढें होंसले पागला गए हैं होंसले गिर जाये या उड़े अब टूटे या जुड़े, परवाह नहीं परवाह नहीं हे.. परवाह नहीं हे.. परवाह नहीं हे.. झूटे हैं या सच्चे हैं सपने आखिर सपने हैं सारे तारे तुम्हीं रख लो सारे जुगनू तो मेरे हैं झूटे हैं या सच्चे हैं सपने आखिर सपने हैं सारे तारे तुम्हीं रख लो सारे जुगनू तो मेरे हैं टोके रुके ना दिल जले पगला गए हैं हौंसले जिद्दी हैं धड़कने बिगड़े या बने परवाह नहीं वो परवाह नहीं हो परवाह नहीं येह परवाह नहीं ये साँसों में जो भट्टी है वो रात और दिन दहकती है पानी-वानी तो धोका है ये आग आग से बुझती है साँसों में जो भट्टी है वो रात और दिन दहकती है पानी-वानी तो धोका है ये आग आग से बुझती है आयें तो आये जलजले पगला गए हैं होंसले शोलों पे हम चले अब पिघले या जले परवाह नहीं वो परवाह नहीं.. वो परवाह नहीं.. वो परवाह नहीं.. वो परवाह नहीं..